रोगनाश और समृद्धि प्राप्ति के लिए किया जाता है शीतला सप्तमी का व्रत

शीतला सप्तमी व्रत चैत्र माह के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि पर किया जाता है।  इस साल यह 15 मार्च को यानी आज है। इस दिन शीतला माता का पूजन बासी और ठन्डे व्यंजनों का भोग लगाने के बाद घर के सभी सदस्य सिर्फ ठन्डे व्यंजन ही खाते हैं। शीतला माता का मंदिर वटवृक्ष के समीप ही होता है। इसलिए शीतला माता के पूजन के बाद वट की पूजा भी की जाती है।



  • ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शीतला देवी धन-धान्य से पूर्ण कर प्राकृतिक विपदाओं से दूर रखती हैं। इसके साथ ही पूजा करने एवं नियम और संयम से व्रत रखने पर चेचक, खसरा आदि रोगों का प्रकोप नहीं फैलता है।


शीतला सप्तमी की पूजा विधि



  1. सुबह स्नान करके शीतला मां की पूजा की जाती है। 

  2. इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है।   

  3. शीतला सप्तमी के एक दिन पहले मीठा भात, पुए, पकौड़े, रबड़ी, बाजरे की रोटी और पूड़ी सब्जी आदि बनाए जाते हैं। 

  4. रात को सारा भोजन बनाने के बाद रसोईघर की सफाई करके पूजा करें। 

  5. रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि अर्पित कर पूजा करें। इस पूजा के बाद चूल्हा नहीं जलाया जाता।


शीतला सप्तमी 15 मार्च, रविवार



  1. शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त - सुबह 06:31 से शाम 06:21 तक

  2. सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 15 मार्च को सुबह 04:25 पर

  3. सप्तमी तिथि समाप्त - 16 मार्च को सुबह 04:10 पर