अनार के कटोरे के रूप में तेजी से प्रसिद्ध हो रहे पश्चिमी राजस्थान के किसानों पर इस बार कोरोना कहर बन टूटा है। अभी तक किसान अपना साठ फीसदी अनार ही बेच पाए है, जबकि शेष 40 फीसदी अनार पौधो पर तैयार है, लेकिन उन्हें तोड़ने वाले श्रमिक पलायन कर चुके है। कुछ किसानों के पास तोड़ा हुआ अनार तैयार है तो मंडियों तक भेजने के साधन के अभाव में वह खेतों में सड़ रहा है। इस बार पूरे मारवाड़ में हजारों टन अनार की उपज हुई है।
पश्चिमी राजस्थान में गत कुछ बरस के दौरान किसान बहुत तेजी के साथ अनार की तरफ आकर्षित हुए। संभाग के जोधपुर, पाली, जालोर, सिरोही, बाड़मेर व जैसलमेर में व्यापक पैमाने पर अनार की खेती हो रही है। किसानों का कहना है कि ना कोई खरीदार है, ना कहीं भेजने की सुविधा और अगर भेज भी दे तो मंडी में ग्राहक नहीं। मंडी के व्यापारी बोल रहे हैं हमारे यहां ग्राहक भी नहीं है, हम किसको बेचेंगे, आगे खरीददार तो होने चाहिए।
पिछले साल भी किसानों की अनार ने कमर तोड़ दी थी किसानों को कोई रेट नहीं मिला। कौड़ी के भाव अनार बेचना पड़ा और इस साल शुरुआत में भाव नहीं थे। अभी बाजार में अनार का अच्छा रेट आया था लोगों को उम्मीद जगी थी के कम से कम इस साल तो खर्चा निकाल के कुछ आय होगी लेकिन इसका फायदा भी बहुत ही कम लोगों को मिला। इतने में इस कोरोना के कहर ने सारी उम्मीदें धूमिल कर दी।
खेतों में सड़ रहा है अनार
कई किसानों के अनार के सौदे हो गए थे। उनका माल भी पैक हो गया। किसी के पांच तो किसी के 15 टन। अब वह भी किसान के घर पर पडा हुआ सड़ रहा है। पैक करवाया हुआ माल भी व्यापारी नहीं उठा रहा व्यापारियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। व्यापारियों का कहना है कि वे खरीद कर बेचेंगे किसे?
व्यापारी व श्रमिक चले गए अपने प्रदेश
पश्चिमी राजस्थान में अनार को तोड़ने, पैक करने व माल लदाई करने तक के सारे काम में गुजरात व उत्तरप्रदेश के व्यापारियों व श्रमिकों ने क्षेत्र में डेरा जमा रखा था। कोरोना के बाद लॉक डाउन शुरू होते ही इनमें से अधिकांश लोग यह क्षेत्र छोड़ अपने प्रदेशों में लौट चुके है। कुछेक लोग अभी भी यहां फंसे हुए है।
सरकार करे व्यवस्था
किसानों का कहना है कि राज्य सरकार को अनार के तैयार उत्पाद को मंडियों तक पहुंचाने की विशेष व्यवस्था करनी चाहिये। चाह जो दाम मिले, लेकिन खेतों में सड़ने के बजाय यह किसी के मुंह मे तो जाए। राज्य सरकार को चाहिये कि वह किसानों के अनार को मंडियों तक पहुंचने का मार्ग प्रश्स्त करे या फिर स्वयं खरीद कर कोल्ड स्टोरेज में रखवाए ताकि किसानों को नुकसान न हो।